Monday, March 19, 2012

Niraj Ga Raha Hai

Gopal Das Niraj - Poet and lyricist, and the author of some very beautiful poems. I read some of his poems in school, and came across more om the net over years. One of the reasons I love his poetry is beautiful rhyme and rhythm, intoning more often than not, a hope and rebellion.

नीरज गा रहा है
  -- गोपालदास नीरज 

अब ज़माने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है

जो झुका है वह उठे अब सर उठाए,
जो रुका है वह चले नभ चूम आए,
जो लुटा है वह नए सपने सजाए,
जुल्म-शोषण को खुली देकर चुनौती,
प्यार अब तलवार को बहला रहा है।

अब ज़माने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है 

हर छलकती आँख को वीणा थमा दो,
हर सिसकती साँस को कोयल बना दो,
हर लुटे सिंगार को पायल पिन्हा दो,
चाँदनी के कंठ में डाले भुजाएँ,
गीत फिर मधुमास लाने जा रहा है।
अब ज़माने को ख़बर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है


जा कहो तम से करे वापस सितारे,
माँग लो बढ़कर धुएँ से अब अंगारे,
बिजलियों से बोल दो घूँघट उघारे,
पहन लपटों का मुकुट काली धरा पर,
सूर्य बनकर आज श्रम मुसका रहा है।
अब ज़माने को ख़बर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है


शोषणों की हाट से लाशें हटाओ,
मरघटों को खेत की खुशबू सुँघाओ,
पतझरों में फूल के घुँघरू बजाओ,
हर कलम की नोक पर मैं देखता हूँ,
स्वर्ग का नक्शा उतरता आ रहा है।
अब ज़माने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है


इस तरह फिर मौत की होगी न शादी,
इस तरह फिर खून बेचेगी न चाँदी,
इस तरह फिर नीड़ निगलेगी न आँधी,
शांति का झंडा लिए कर में हिमालय,
रास्ता संसार को दिखला रहा है।
अब ज़माने को खबर कर दो कि 'नीरज' गा रहा है

No comments: